Sunday, March 18, 2007

मन की बात

मन की बात ऐसी बातों का संग्रह करने का प्रयास है जो व्‍यक्ति के जीवन में घटती रहती हैं और गाहे बगाहे उसे परेशान भी करती रहती हैं. सामान्‍य जन के लिए तो कई बार ये बातें आई गई हो जाती हैं, लेकिन अपने अनुभव से जो मैंने पढ़ा और जाना उसमें यही पाया कि हर प्रसिद्ध व्‍यक्ति अपनी परेशानियों से कम और समाज तथा अन्‍य लोगों के दुखों और कठिनाइयों से ज्‍यादा व्यथित हुआ. दूसरों का, सारे समाज का दुख उसका अपना दुख बन गया उसी को मिटानें में उसनें स्‍वयं को लगा दिया और यही उसका सबसे बड़ा निवेश भी बन गया आज यदि दुनिया बुद्ध को जानती है, महावीर को पूजती है और राम के आगे सिर झुकाती है तो इस लिए नहीं कि वे केवल महान थे बल्कि इस लिए भी कि उन्‍होंने तत्‍कालीन समाज के दुख को अपना दुख समझा, सारे समाज की भलाई के लिए अपने को समर्पित किया. ये सभी संत और महापुरुष और अवतार पूरी तरह से न केवल समाजवादी थे अपितु नारी के लिए उनके मन में अपार श्रद्धा थी. अस्‍तु इसी थीम के साथ आपके समक्ष मन की बातें रखता रहूंगा.

2 comments:

योगेश समदर्शी said...

बहुत कठिन होत है मन की बात कहना. फिर भी यदि आप अपने आप से पक्षपात किये बिना यह काम कर सके तो बधाई के पात्र होंगे.

Udan Tashtari said...

स्वागत है, लिखें.